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घटनाक्रम में नाटकीय मोड़ लेते हुए, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की अपनी आधिकारिक यात्रा को बीच में ही समाप्त करके आज रात भारत वापस लौटेंगे, जिससे पूरे दक्षिण एशिया में अटकलों और चिंताओं का दौर शुरू हो गया है। कार्यक्रम में अचानक बदलाव पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच हुआ है, जिसने कथित तौर पर अपनी वायुसेना को हाई अलर्ट पर रखा है।
उच्च-स्तरीय सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को भारत की ओर से संभावित जवाबी कार्रवाई का डर है, जो हाल ही में किसी उकसावे या खुफिया चेतावनी से जुड़ी हो सकती है। इस कदम ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी है, दोनों तरफ के सुरक्षा बलों ने गश्त और हवाई निगरानी बढ़ा दी है।
हालांकि आधिकारिक विवरण गोपनीय रखे गए हैं, लेकिन सऊदी अरब से पीएम मोदी के प्रस्थान की जल्दबाजी स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत पाकिस्तान की कथित कार्रवाइयों के जवाब में कूटनीतिक या सैन्य रूप से एक कड़ा संदेश भेजने की तैयारी कर रहा है।
**वैश्विक शक्तियों ने अपना पक्ष रखा**
एकजुटता के दुर्लभ प्रदर्शन में, संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस दोनों ने भारत के प्रति अपने समर्थन की पुष्टि करते हुए बयान जारी किए हैं।
> “संयुक्त राज्य अमेरिका क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में भारत के साथ मजबूती से खड़ा है,” यू.एस. स्टेट डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने कहा।
> इस बीच, क्रेमलिन के एक प्रवक्ता ने कहा, “रूस भारत के अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के अधिकार का समर्थन करता है और किसी भी तरह की आक्रामकता या अस्थिरता की निंदा करता है।”
दुनिया की दो सबसे प्रभावशाली शक्तियों का यह संयुक्त समर्थन भारत की स्थिति को और मजबूत बनाता है और सीमा पार से किसी भी संभावित तनाव को रोकने में कारगर हो सकता है।
**तनाव बहुत बढ़ गया है**
भारत-पाकिस्तान सीमा, जो पहले से ही दुनिया की सबसे अस्थिर सीमाओं में से एक है, अब कड़ी निगरानी में है। संवेदनशील क्षेत्रों में सैनिकों की आवाजाही कथित तौर पर बढ़ गई है, जबकि वायु सेना के स्क्वाड्रन स्टैंडबाय पर हैं। खुफिया एजेंसियां भी हाई अलर्ट पर हैं, जो क्षेत्र के भीतर और बाहर संभावित खतरों की निगरानी कर रही हैं।
नई दिल्ली में शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को आपातकालीन बैठक के लिए बुलाया गया है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी के वापस लौटने पर तुरंत करने की उम्मीद है।
**आगे क्या होगा?**
प्रधानमंत्री मोदी के भारत आने के साथ ही पूरा क्षेत्र उन महत्वपूर्ण दिनों के लिए तैयार हो रहा है। चाहे इसका नतीजा कूटनीतिक आक्रमण हो, सैन्य युद्धाभ्यास हो या रणनीतिक नियंत्रण, एक बात तो तय है – भू-राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ा है और दुनिया इस पर करीब से नज़र रख रही है।